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आहट -१

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अपनी बात आहट उपन्यास क्या समाज में आ रहे बदलाव का संकेत है । आधुनिकता की चकाचौंध में स्वयं को खड़ा करने के रफ़्तार में परंपरा टूटते जा रही है । रिश्तों को संभालना मुश्किल होता जा रहा है । अपनी ज़रूरतों की पूर्ति में आदमी मशीन बनकर रह गया है ।संवेदना और परंपरा स्वार्थ की बलि चढ़ी ही है , क़ानून भी मान्य परंपराओं को कैसा छिन्न-भिन्न कर देता है ? इस कृति में समाज में चल रहे बदलाव के चलते परंपरा पर हो रहे प्रहार को बचाने की वेदना है । इसमें वेदना के अतिरिक्त संयुक्त परिवार को बचाए रखने की कोशिश भी है । कोरोना संकट के उस दौर में जब हर आदमी जूझ रहा है तब संयुक्त परिवार की ज़रूरत क्यों है , यह एक सवाल भी है और इसका जवाब ढूँढने की कोशिश भी । कौशल तिवारी ३४,मीडिया सिटी मोहबा बाज़ार , रायपुर (छत्तीसगढ़) मो-9826147155